"In Case Of Emergency"
शार्ट फार्म "ICE" की संकल्पना..एक महत्वपूर्ण विचारधारा.. 💥
हम सभी हमारे मोबाइल की memory में नाम के साथ नम्बर दर्ज करते हैं, लेकिन हमारे अलावा कोई नहीं जानता कि इनमें से कौन सा नम्बर हमारे परिवार के सदस्य अथवा नजदीकी रिश्तेदार या मित्र का है।
यदि हम दुर्घटना ग्रस्त हो जायें या अचानक बीमार पड़ जायें तो जो व्यक्ति हमें अस्पताल पहुँचाता है, उसके पास हमारा मोबाइल फोन तो है लेकिन वह यह नहीं जानता कि किसे फोन किया जाय?
मोबाइल में सैकड़ों नम्बर दर्ज है किंतु आपात स्थिति (Emergency) में किससे सम्पर्क किया जायें...?
अतः "ICE"
(In Case of Emergency / आपात स्थिति के समय) की परिकल्पना की गई..
"ICE" की संकल्पना आपात स्थिति (Emergency)में तुरंत सम्पर्क स्थापित करने की विधा है। जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा मोबाइल फोन रखता है।आपको चाहिए कि आपात स्थिति (Emergency)में जिससे तत्काल संपर्क करना चाहिए, उसका फोन नंबर "ICE"(In Case of Emergency) के साथ दर्ज करें।
यह विचार एक चिकित्साकर्मी के दिमाग में आया जिसने अनुभव किया कि जब भी वह दुर्घटना स्थल पर पहुंचा, दुर्घटना ग्रस्त अथवा बीमार व्यक्ति के पास मोबाइल फोन तो होता है पर यह पता नहीं चल पाता था कि किससे तत्काल सम्पर्क कर सूचना दी जाय।इस कारण उसने विचार किया कि यदि ऐसी स्थिति हेतु राष्ट्रीय स्तर पर मान्य एक शब्द की संकल्पना की जाय तो आपात कालीन स्थितियों में आपात सेवा देने वाले व्यक्ति या चिकित्साकर्मी, आपके द्वारा "ICE " के साथ दर्ज किए गए नंबर पर, उचित व्यक्ति से तत्काल सम्पर्क स्थापित करने में सक्षम होंगे।
आज ही अपने 📱मोबाइल फोन में आपात स्थिति में सम्पर्क हेतु "ICE " के साथ नम्बर दर्ज कर इस विचार धारा को विस्तारित करें।
उदाहरणार्थ;
नाम : ICE AMITABH
नंबर : +91 xxxxx xxxxx
आवश्यक हो तो, आपात स्थिति हेतु एक से अधिक व्यक्तियों के नाम भी ICE 1, ICE 2, ICE 3 के साथ दर्ज किए जा सकते हैं।
👍एक उत्तम विचार बहुत बड़ा बदलाव लायेगा।✌
🌹कृपया इसे अपने प्रियजनों और मित्रों को भेजिए, यह वास्तव में किसी का जीवन बचाने में सहायक सिद्ध होगा।😋💐😀
☝याद रखिए जब आप बोलने में असमर्थ होंगे..
"ICE "आपके लिए बोलेगा।😄"
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संस्कृति और दर्शन
.............................एक से नौ गिने और जाने कि महान संकृति और दर्शन के उत्तराधिकारी है आप।
एक ~ ईश्वर ~अद्वैतवाद
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दो~द्वैतवाद ~परमेश्वर और आत्मा
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तीन~
काल ~वर्तमान/भूत/भविष्य
लोक~स्वर्ग लोक/पृथ्वी/पाताल
हवाएँ~शीतल/मंद/सुगन्धित
ताप~आदि दैविक/आदि भौतिक/आध्यात्मिक
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चार~आदि ब्रम्हचारी ~हनुमानजी/नारद/भीष्म पितामह/संकालि मुनि
कुम्भ ~हरिद्वार/इलाहाबाद/उज्जैन/नासिक
वर्ण~ब्राम्हण /क्षत्रिय /वैश्य /और शूद्र
वेद~ऋग्वेद/यजुर्वेद/अथर्ववेद/सामवेद
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पांच~ तत्व~वायु /अग्नि /पृथ्वी/ आकाश और जल
सती~द्रौपदी /मंदोदरी /सुलक्षणा /अनुसुइया /सावित्री
कालपुरुष ~नारद /अश्वस्थामा/ हनुमानजी/ काग भुसुंडि और कृष्ण
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छः~मौसम ~शिशिर/बसंत/वर्षा /शरद/ हेमंत /ग्रीष्म
दर्शन के छै स्कूल ~सांख्य/योग/न्याय/वैशेषिक/मीमांसा और वेदांत।
छै साथी ~तर्क/भाव/विचार/जागृति/ज्ञान/ बुद्धि
छै शत्रु~काम/लोभ /क्रोध /लालच/ अहंकार और ईर्ष्या।
सात ~नदियां ~गंगा/ यमुना/ सरस्वती /कावेरी /गोदावरी/नर्मदा/ब्रम्हपुत्र
पर्वत ~हिमालय/महेंद्रगिरी/ वेंकटगिरि/ विंध्याचल/श्रीशैल/पारिजात/मलयगिरि।
सात ऋषि~कश्यप/ अत्रि /वशिष्ठ /विश्वामित्र/ गौतम/ भारद्वाज /जमदाग्नि
सात सुर ~षडज/ ऋषभ /गांधार /मध्यम /पंचम /धैवत /निषाद
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आठ ~ धातुएँ ~सोना, चाँदी, तांबा, रांगा, जस्ता, सीसा, लोहा, तथा पारा।
अष्ठावक्र गीता ~
ज्ञान कैसे प्राप्त होता है ? मुक्ति कैसे होगी ? और वैराग्य कैसे प्राप्त होगा ? ये तीन शाश्वत प्रश्न राजा जनक ने भी ऋषि अष्टावक्र से किये थे। उनका शरीर आठ जगह से
अष्टांग योग ~यम /नियम/ आसन /प्राणायाम /प्रत्याहार /धारणा/ध्यान और समाधि।
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नव ~गृह ~ सूर्य/ चंद्र /मंगल/ बुध/ बृहस्पति/ शुक्र शनि/ राहु /केतु
रत्न ~माणिक्य/ हीरा/ मोती/ नीलम/ पन्ना/ मूँगा/ गोमेद/ पुखराज तथा लहसुनिया।
रस ~श्रंगार /हास्य /करुण /रौद्र/ वीर /भयानक/ वीभत्स/ अद्भुत और शांत। विद्वान तो वात्सल्य और भक्ति रस भी मानते है लेकिन आधार नौ रस ही है।
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