Wednesday, July 22, 2015

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एक भोपाली 🎅अपने स्कूटर पर जा रहा था, रास्ते में एक आदमी ने उससे लिफ्ट मांग ली।
आगे लाल बत्ती थी भोपाली ने बड़ी तेजी से स्कूटर निकाल दिया
पीछे बैठा आदमी डर गया।

आदमी: भाई साहब लाल बत्ती थी।

भोपाली: मियॉ हम लाल बत्ती पर नहीं रुकते।

फिर लाल बत्ती आई फिर निकाल दिया, आदमी और ज्यादा डर गया।

आदमी: भाई साहब मरवाओगे क्या लाल बत्ती थी।

भोपाली: अबे हम भोपाली हैं भोपाली लाल बत्ती पर नहीं रुकते।

आगे हरी बत्ती आई तो भोपाली ने जोर से ब्रेक मारी और वही रुक गया।

आदमी: भाई साहब, अब तो चलो हरी बत्ती है।
भोपाली: अबे मरवाएगा क्या,
 उधर से कोई दूसरा भोपाली आ रिया होग तो?😜😜😂😂😂😃😀😄😀


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           पत्नी महिमा
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जाने कैसे कैसे रूप, दिखाती हैं ये पत्नियाँ
फिर भी सबके मन को भाती हैं ये पत्नियाँ

भोला भोला पति बेचारा समझ नहीं पाता
किस बात पर कब रूठ जाती हैं ये पत्नियाँ

थोड़ी सी तकरार है, है फिर थोड़ा प्यार भी,
रुलाकर हमें, प्यार से, हंसाती हैं ये पत्नियाँ

भोर में थकावट है, शाम को सजावट है
सारे रिश्ते प्यार से, निभाती हैं ये पत्नियाँ

थोड़ी सी नजाकत है, है थोड़ी शरारत भी
नाज नखरे भी कभी, दिखाती हैं ये पत्नियाँ

सुबह शाम पूजा करतीं, और रसोई में लगतीं
खाने में जाने क्या क्या पकाती हैं ये पत्नियाँ

ख्यालों में कभी खोयीं, या रातों में नहीं सोयीं
अपने सारे गम हमसे, छुपातीं हैं ये पत्नियाँ

मांगें लम्बी उमर पति की, सारे व्रत रख कर
कभी पति से व्रत नहीं, रखातीं हैं ये पत्नियाँ

मन कभी उदास हो, या सोच में डूबे हों हम
होकर भावुक सीने से, लगाती हैं ये पत्नियाँ

छोड के बाबुल का घर, सपने आँखों में लिये
सजाने को घर पिया का, आतीं हैं ये पत्नियाँ

ना दिन में आराम है, ना रात को विश्राम है
कुछ भी हो, घर को घर बनाती हैं ये पत्नियाँ

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