माखनचोरी का रोचक प्रसंग
☀☀☀☀☀☀☀☀☀माखनचोर नटखट श्री कृष्ण को रंगे हाथों पकड़ने के लिये एक ग्वालिन ने एक अनोखी जुगत भिड़ाई।
उसने माखन की मटकी के साथ एक घंटी बाँध दी कि जैसे ही बाल कृष्ण माखन-मटकी को हाथ लगायेगा,घंटी बज उठेगी और मैं उसे रंगे हाथों पकड़ लूँगी।
बाल कृष्ण अपने सखाओं के साथ दबे पाँव घर में घुसे।
श्री सुदामा की दृष्टि तुरन्त घंटी पर पड़ गई और उन्होंने बाल कृष्ण को संकेत किया।
बाल कृष्ण ने सभी को निश्चिंत रहने का संकेत करते हुये, घंटी से फुसफसाते हुये कहा
"""देखो घंटी, हम माखन चुरायेंगे, तुम बिल्कुल मत बजना..."""
घंटी बोली "जैसी आज्ञा प्रभु, नहीं बजूँगी..."
बाल कृष्ण ने ख़ूब माखन चुराया अपने सखाओं को खिलाया - घंटी नहीं बजी।
ख़ूब बंदरों को खिलाया - घंटी नहीं बजी।
अंत में ज्यों हीं बाल कृष्ण ने माखन से भरा हाथ अपने मुँह से लगाया , त्यों ही घंटी बज उठी।
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सारे भाग गये बस श्री कृष्ण पकड़ाई में आ गये।
बाल कृष्ण बोले - """तनिक ठहर गोपी , तुझे जो सज़ा देनी है वो दे दीजो , पर उससे पहले मैं ज़रा इस घंटी से निबट लूँ...क्यों री घंटी...तू बजी क्यों...मैंने मना किया था न...?"""
घंटी क्षमा माँगती हुई बोली - "प्रभु आपके सखाओं ने माखन खाया , मैं नहीं बजी...आपने बंदरों को ख़ूब माखन खिलाया , मैं नहीं बजी , किन्तु जैसे ही आपने माखन खाया तब तो मुझे बजना ही था...मुझे आदत पड़ी हुई है प्रभु...मंदिर में जब पुजारी भगवान को भोग लगाते हैं तब घंटियाँ बजाते हैं...इसलिये प्रभु मैं आदतन बज उठी और बजी..."
श्री गिरिराज धरण की जय...
💐💐श्री बाल कृष्ण की जय💐💐
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जीवन कुछ ऐसा जियो,
जिसमे कुछ खास हो ,
कही कृष्ण की लीला,
तो कभी राम सा वनवास हो,
कभी कौसल्या की ममता,
तो कभी यशोदा की दुलार हो,
कही राम का आदर्श लेकर,
रावण (अहम्,) का संहार हो,
कभी कृष्ण की चंचल लीला से,
कंस (अत्याचार) का विनाश हो,
कभी सत्य और त्याग का जीवन,
तो कही कर्म का संबल और
कभी सुंदर मन का संसार हो,
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