Wednesday, September 9, 2015

only intertenment


न रहेगा मर्ज..न रहेगा मरीज


एक बार एक नवाब साहब को कब्ज़ की शिकायत हो गई़,
उनका लङका हकीम साहब के पास गया,
लङका: हकीम साहब, वालिद साहब को कब्ज़ की शिकायत हो गई है,
हकीम: सफूफ मुसहिल देकर बोले, नीम गरम पानी से खिला देना, दस्त आयेंगे, पेट साफ हो जायेगा, घबराना नहीं।
4 घंटे बाद लङका आया और बोला
हकीम साहब वालिद साहब को 3-4 दस्त हो गए।
हकीम: कोई बात नहीं, दस्त और आयेंगे, आने दो।
6 घंटे बाद ......
लङका: हकीम साहब, 9 -10 दस्त हो गए।
हकीम: कोई बात नहीं, दस्त और आयेंगे, आने दो।
शाम को
लङका: हकीम साहब, 20-25 दस्त हो गए, कमजोरी आ गई है।
हकीम: कोइ बात नहीं, दस्त और आयेंगे, आने दो।
रात को
लङका: हकीम .... साहब ..., 30-35 दस्त हो गए, वालिद साहब निढाल होकर बिस्तर पर लेट गए, बोलने तक की ताकत नहीं रही।
हकीम: कोइ बात नहीं, दस्त और आयेंगे, आने दो।
सुबह 5 बजे
लङका: हकीम के बच्चे, वालिद साहब इंतक़ाल फरमा गए।
हकीम:
क्या करें
मरीज़ की
क़िस्मत दग़ा दे गई,
वरना दस्त और आते ..............


कहानी से सबक!


स्कूल में टीचर ने चौथी क्लास के बच्चों को होमवर्क दिया।
"कोई स्टोरी सोच के आना और फिर क्लास को बताना कि उससे हमें क्या सबक मिलता है?"

अगले दिन एक बच्चे ने क्लास में स्टोरी सुनाई:
"मेरा बापू कारगिल की जंग में लड़ा। उस के हेलीकॉप्टर को दुश्मनों ने मार गिराया। वो दारू की एक बोतल के साथ पहले ही हेलिकॉप्टर से कूद गया लेकिन बार्डर के पार दुश्मनों के इलाके में जा गिरा। जहां कि उस को घेरने के लिए दुश्मनों की फौज दौड़ पड़ी।

बापू ने गटागट दारू की बोतल पीकर खाली की और अपनी बंदूक संभाल ली। दुश्मन के सौ फौजियों ने आ कर उसे घेर लिया तो उसने तड़ातड़ गोलियां चला कर दुश्मन के सत्तर फौजी मार ड़ाले। फिर उसकी गोलियां खत्म हो गयीं तो उसने बंदूक पर लगी किर्च से दुश्मन के बीस फौजी मार गिराये। तब उसने बंदूक फेंक दी और निहत्थे ही बाकी के दस और दुश्मन फौजी मार गिराये और फिर टहलता हुआ बार्डर पार कर के अपने इलाके में आ गया।"

टीचर भौंचक्का सा उसका मुँह देखने लगा, फिर वैसा ही भौंचक्का सा बोला, "कहानी बढ़िया है, लेकिन इससे हमें सबक तो कोई नहीं मिलता।"

"मिलता है न।" बच्चा शान से बोला।

"क्या सबक मिलता है?" टीचर ने पूछा।

"यही कि बापू टुन्न हो तो उस से पंगा नहीं लेने का।


मुहावरे और उनके शराबिक अर्थ 

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®हाथ पांव फूलना- समय पर दारू का ना मिलना
®ऊंट के मुंह मे जीरा-दारू कम पड़ जाना
®कलेजा ठंडा होना-
एक पैग गले के नीचे उतरना
®मुंह मीठा करना- पहली बार किसी को दारू पिलाना
®हाथ साफ करना-दूसरे का पैग भी चुपचाप पीना
®नेकी कर दरिया मे डाल-फ्री में दोस्तों को पिलाना
®आंख फड़कना- नशा उतरते जाना
®आंख लाल करना-फुल नशा हो जाना
®अंधे की लकडी़- कोई पिलाने वाला मिल जाना
®अंगारो पर पैर रखना-दारू पीकर घर जाना
®आकाश के तारे तोड़ना- भट्टी की लाईन में पहले स्थान पर होना
®तिल का ताड़ बनाना-
 दारू पीकर उपदेश देना
®ठन ठन गोपाल- पीने के लिए पैसा न होना
®दम में
दम आना-पीने के साथ चखना जुगाड़ हो जाना
®छाती पर सांप लोटना-बिना जानकारी भट्टी बंद हो जाना
®काम तमाम करना-पूरा बोतल खतम करना

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