drink in life |
Boy- पड़ोस वाली बुढिय़ा मुझे बहुत तंग करती थी....
जब भी किसी की शादी होती वो मेरे गाल खींच के कहती... "अब तुम्हारी बारी है".....
फिर मैंने उनकी ये आदत ख़त्म करवा दी।
Friend- कैसे...?
Boy- जब भी कोई मर जाता तो मैं उनके गाल खींच के कहता हूँ...
"अब आपकी बारी है"....!!!
प्रसंग है एक नवयुवती छज्जे पर बैठी है,
वह उदास है, उसकी मुख मुद्रा देखकर लग रहा है कि
जैसे वह छत से कूदकर आत्महत्या करने वाली है।
विभिन्न कवियों से अगर इस पर लिखने को कहा जाता तो वो कैसे लिखते :
पहला कवि....
वो बरसों पुरानी इमारत
शायद
आज कुछ गुफ्तगू करना चाहती थी
कई सदियों से उसकी छत से
कोई कूदा नहीं था.
और आज
उस तंग हालात
परेशां
स्याह आँखों वाली
उस
लड़की ने
ईमारत के सफ़े
जैसे खोल ही दिए
आज फिर कुछ बात होगी
सुना है इमारत खुश बहुत है...
दूसरा कवि.....
किस उलझन से क्षुब्ध आज
निश्चय यह तुमने कर डाला
घर चौखट को छोड़ त्याग
चढ़ बैठीं तुम चौथा माला
अभी समय है, जीवन सुरभित
पान करो इस का बाला
ऐसे कूद के मरने पर तो
नहीं मिलेगी मधुशाला
तीसरा कवि.......
जिंदगी को तोड़ कर
मरोड़ कर
गुल्लकों को फोड़ कर
क्या हुआ जो जा रही हो
सोहबतों को छोड़ कर
चौथा कवि
कूद जा डार्लिंग क्या रखा है
जिंजर चाय बनाने में
यो यो की तो सीडी बज री
डिस्को में हरयाणे में
रोना धोना बंद!
तू कर ले डांस हनी के गाने में
रॉक एंड रोल करेंगे कुड़िये
फार्म हाउस के तहखाने में !!
पांचवां कवि
रहिमन कभउँ न फांदिये छत ऊपर दीवार
हल छूटे जो जन गिरें फूटै और कपार
छठवां कवि
छत चढ़ नारी उदासी कोप व्रत धारी
कूद ना जा री दुखारी
सैन्य समेत अबहिन आवत होइहैं रघुरारी
सातवां कवि
कबीरा देखि दुःख आपने कूदिंह छत से नार
तापे संकट ना कटे , खुले नरक का द्वार''
आठवां कवि
अट्टालिका पर एक रमिणी अनमनी सी है अहो
किस वेदना के भार से संतप्त हो देवी कहो?
धीरज धरो संसार में, किसके नही है दुर्दिन फिरे
हे राम! रक्षा कीजिए, अबला न भूतल पर गिरे।
नौवां कवि
गोरी बैठी छत पर, कूदन को तैयार
नीचे पक्का फर्श है, भली करे करतार
भली करे करतार,न दे दे कोई धक्का
ऊपर मोटी नार, नीचे पतरे कक्का
कह काका कविराय, अरी मत आगे बढ़ना
उधर कूदना मेरे ऊपर मत गिर पड़ना।
दसवां कवि
ओ घमंड मंडिनी, अखंड खंड मंडिनी
वीरता विमंडिनी, प्रचंड चंड चंडिनी
सिंहनी की ठान से, आन बान शान से
मान से, गुमान से, तुम गिरो मकान से
तुम डगर डगर गिरो, तुम नगर नगर गिरो
तुम गिरो अगर गिरो, शत्रु पर मगर गिरो।
ग्यारहवां कवि
हो न उदास रूपसी, तू मुस्काती जा
मौत में भी जिन्दगी के कुछ फूल खिलाती जा
जाना तो हर एक को है, एक दिन जहान से
जाते जाते मेरा, एक गीत गुनगुनाती जा
बारहवां कवि
हे सुन्दरी तुम मृत्यु की यूँ बॉट मत जोहो।
जानता हूँ इस जगत का
खो चुकी हो चाव अब तुम
और चढ़ के छत पे भरसक
खा चुकी हो ताव अब तुम
उसके उर के भार को समझो।
जीवन के उपहार को तुम ज़ाया ना खोहो,
हे सुन्दरी तुम मृत्यु की यूँ बाँट मत जोहो।
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एक भाई ने अपनी गर्लफ्रैन्ड का नाम फोन बुक में Battery Low सेव किया ।
किसी ने भाई से पूछा अगर तुम कभी बाथरूम में हो
कुछ नहीं ,
वो चार्जर लगा के चली जाती है ।
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एक टैक्सी चालक को चलती हुई
टैक्सी में बैठे पैसेंजर ने पीछे से
ही कुछ कहने के लिए टैक्सी चालक के
कंधे पर हाथ रखा ही था कि चालक जोर से
चीखा, घबराया और टैक्सी का संतुलन खो
बैठा। टैक्सी फुटपाथ पर चढ़ गई।
पैसेंजर भी गलती से लज्जित था।
टैक्सी ड्राइवर से माफी मांगी
और कहा मुझे नहीं पता था कि मेरे हाथ लगाने से
तुम्हारा ध्यान इस तरह भटक जाएगा।
टैक्सी ड्राइवर ने चिढ़ने या नाराज होने की
बजाय बड़ी विनम्रता से कहा "साब
आपकी गलती नहीं है।
टैक्सी चलाने का आज मेरा पहला दिन है। पिछले २५
साल से मैं मुर्दे ढोनेवाली गाड़ी चला रहा
था।"