Friday, September 11, 2015

मन की बात



हकीकत-ए-जिंदगी


छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष।
उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को
बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष
बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है।
बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग,
कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा,
नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ
व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।अब बचा ही
कितना ? 8/10 वर्ष। उसमें भी हम
शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम
थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें,
और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़
जाएँ, तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन
प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?
स्वयं विचार कीजिये :- इतना कुछ होते हुए भी,
1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी...
👍मौन होना सब से बेहतर है।

2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी...
👍सफेद रंग सब से बेहतर है।

3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी...
👍उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है।

4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी..
👍पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है।

5- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी...
👍बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है।

6- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी...
👍अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है।

7- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी...
👍सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है।

इंसान के अंदर जो समा जायें वो
             " स्वाभिमान "
                    और
जो इंसान के बाहर छलक जायें वो
             " अभिमान "
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✔जब भी बड़ों के साथ बैठो तो  
      परमात्मा का धन्यवाद ,
     क्योंकि कुछ लोग
      इन लम्हों को तरसते हैं ।

✔जब भी अपने काम पर जाओ
      तो परमात्मा का धन्यवाद करो
     क्योंकि
     बहुत से लोग बेरोजगार हैं ।

✔परमात्मा का धन्यवाद कहो
     जब तुम तन्दुरुस्त हो ,
     क्योंकि बीमार किसी भी कीमत
     पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश
      रखते हैं ।

✔ परमात्मा का धन्यवाद कहो
      कि तुम जिन्दा हो ,
      क्योंकि मरते हुए लोगों से पूछो
      जिंदगी की कीमत



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रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हों
तो भी एक अच्छा जूता पहनकर
उस पर चला जा सकता है..

लेकिन यदि एक अच्छे जूते
के अंदर एक भी कंकड़ हो तो
एक अच्छी सड़क पर भी
कुछ कदम भी चलना मुश्किल है ।।

यानि -
"बाहर की चुनोतियों से नहीं
हम अपनी अंदर की कमजोरियों
से हारते हैं "
"ज़िन्दगी" बदलने के लिए
लड़ना पड़ता है..!
और
आसान करने के लिए
समझना पड़ता है..!
वक़्त आपका है,
चाहो तो सोना बना लो
और
चाहो तो सोने में गुज़ार दो..!
अगर कुछ अलग करना है तो
भीड़ से हटकर चलो..!
भीड़ साहस तो देती है पर
पहचान छीन लेती है...!

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आदमी की सोच और नसीहत समय समय पर बदलती रहती है।
चाय में मक्खी गिर जाये तो चाय फेंक देते हैं ।


अगर देशी घी में मक्खी गिर जाये तो मक्खी को फेंक देते हैं।
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: डाली  पर  बैठे  हुए  परिंदे  को  पता  है  कि  डाली  कमज़ोर  है ,
   फिर  भी  वो  उस  डाली  पर  बैठता है  क्योंकि...
 उसको  डाली  से  ज्यादा  अपने  पंख  पर  भरोसा  है. "

"BELIEVE in your Capability...



MAN KI BAAT 👍👍


राजा दशरथ जब अपने चारों बेटों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पर पहुँचे
तो राजा जनक ने सम्मानपूर्वक बारात का स्वागत किया |
तभी दशरथ जी ने आगे बढ़कर जनक जी के चरण छू लिए,
 चौंककर जनक जी ने दशरथ जी को थाम लिया और कहा
 " महाराज आप बड़े हैं वरपक्षवाले हैं, ये उल्टी गंगा कैसे बहा रहे हैं? "
इस पर दशरथ जी ने बड़ी सुंदर बात कही..,
" महाराज आप दाता हैं कन्यादान कर रहे हैं, मैं तो याचक हूँ,
 आपके द्वार कन्या लेने आया हूँ |
अब आप ही बताएँ कि दाता और याचक दोनों में कौन बड़ा है?"
यह सुनकर जनक जी के नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली |
भाग्यशाली हैं वो जिनके घर होती हैं बेटियाँ..

हर बेटी के भाग्य में पिता होता है लकिन हर पिता के भाग्य में बेटी नहीं होती है।

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"जो भाग्य में है , वह
               भाग कर आएगा,
जो नहीं है , वह
          आकर भी भाग जाएगा...!"

यहाँ सब कुछ बिकता है ,
         दोस्तों रहना जरा संभल के ,
बेचने वाले हवा भी बेच देते हैं ,
                    गुब्बारों में डाल के ,

सच बिकता है , झूठ बिकता है,
                   बिकती है हर कहानी ,
तीनों लोक में फैला है , फिर भी
                  बिकता है बोतल में पानी ,

कभी फूलों की तरह मत जीना,
          जिस दिन खिलोगे ,
                  टूट कर बिखर जाओगे ,
जीना है तो पत्थर की तरह जीयो;
          जिस दिन तराशे गए ,
          "भगवान" बन जाओगे.....!!!